आपराधिक जांच में डीएनए तकनीक का इस्तेमाल
केंद्र सरकार ने डीएनए टेक्नोलॉजी (यूज़ एंड रेगुलेशन )विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक लाने के पीछे सरकार का मकसद आपराधिक मामलो की जांच में डीएनए तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाना तथा प्रक्रिया को सरल बनाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्री मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। दरअसल ,इस विधेयक पर लम्बे समय से काम चल रहा था। अभी किसी मामले में यदि डीएनए जांच करनी हो या किसी अन्य तकनीक का इस्तेमाल करना हो तो इसके लिए अलग से अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है। क्योकि पुराने कानूनों में इस तकनीक का जिक्र नहीं है। यह कानून के बन जाने के बाद जांच एजेंसियों के लिए इन तकनीकियों का इस्तेमाल करना आसान हो जायेगा। इसे नियमित रूप से आपराधिक मामलो की जांच में इस्तेमाल किया जायेगा।
यह फायदा होगा -
केंद्र सरकार ने डीएनए टेक्नोलॉजी (यूज़ एंड रेगुलेशन )विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक लाने के पीछे सरकार का मकसद आपराधिक मामलो की जांच में डीएनए तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाना तथा प्रक्रिया को सरल बनाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्री मंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। दरअसल ,इस विधेयक पर लम्बे समय से काम चल रहा था। अभी किसी मामले में यदि डीएनए जांच करनी हो या किसी अन्य तकनीक का इस्तेमाल करना हो तो इसके लिए अलग से अदालत से अनुमति लेनी पड़ती है। क्योकि पुराने कानूनों में इस तकनीक का जिक्र नहीं है। यह कानून के बन जाने के बाद जांच एजेंसियों के लिए इन तकनीकियों का इस्तेमाल करना आसान हो जायेगा। इसे नियमित रूप से आपराधिक मामलो की जांच में इस्तेमाल किया जायेगा।
यह फायदा होगा -
- अपराधियों के सजा पाने की दर भी बढ़ेगी
- खोये हुए ब्यक्तियो की तलाश जल्द हो सकेगी
- लावारिस शवों की पहचान में भी आसानी हो सकेगी
विधेयक में डीएनए प्रयोगशालाओ को मान्यता देने का प्रावधान भी है इसके लिए दिशा निर्देश तय किये जायेंगे साथ ही प्रोग्शालाओ के नतीजो को सटीक बनाने के लिए भी नियम निर्धारित होंगे साथ ही यह भी सुनिचित किया जायेगा की इस तकनीक के दौरान किसी भी प्रकार से लोगो की निजता प्रभावित नहीं होने पाए।
इन अपराधों के समाधान में आसानी होगी
डीएनए प्रोफाइलिंग से ऐसे अपराधों का समाधान होगा जिसमे मानव शरीर (जैसे- हत्या,दुष्कर्म , मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल ) को प्रभावित करने वाले एवं सम्पति (चोरी, सेधमारी एवं डकैती ) की हानि से संबंधित मामले जुड़े होंगे।
प्रतिवर्ष तीन लाख से अधिक ऐसे अपराध
२००१६ के राष्ट्रिय अपराध ब्यूरो के आकड़ो के अनुसार, देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रतिवर्ष तीन लाख है इनमे से केवल बहुत छोटे वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है
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